जब फ़ुर्सत में हुआ करो |
तब ही मुझसे से मिला करो ||
मुश्किल मेरे लिए खड़ी |
ज़िद करके मत किया करो ||
कह लेता हूँ कभी - कभी |
मेरी ग़ज़लें पढ़ा करो ||
गुंच: गुंच: महक उठे |
यूँ दामन से हवा करो ||
कल का तो कुछ पता नहीं |
इक - इक पल को जिया करो ||
इतने टाईट लिबास में |
धीरे -धीरे चला करो ||
हम भी हँसते रहा करें |
तुम भी हँसते रहा करो ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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