सोच कर बैठता हूँ कि अच्छा कहूँ |
बैठ कर सोचता हूँ कि अब क्या कहूँ ?
जब ख़यालों में बस छा गया तू ही तू |
बोल क्या तुझको जान -ए -तमन्ना कहूँ ?
लब सभी के उसे गुनगुनाते रहें |
चाहता हूँ कोई गीत एसा कहूँ ||
लोग कहते हैं रंग -ए -तगज्ज़ुल कहो |
दिल मगर ये कहे हाल -ए -दुन्या कहूँ ||
हाल सबका गरानी में एसा हुआ |
किसको ज़िन्दां कहूँ किसको मुर्दा कहूँ ?
इश्क़ के भी अलावा हैं कितने ही काम |
आप सुनते नहीं और कितना कहूँ ?
तू परेशान है मैं परेशान हूँ |
हाल तेरा सुनू या कि अपना कहूँ ?
डा० सुरेन्द्र सैनी
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