जगा अन्दर मेरे शायर अदीब अहिस्ता -आहिस्ता |
बना लोगों का मैं भी अब हबीब अहिस्ता -आहिस्ता ||
शज़र मेहनत का तेरी एक दिन ये ख़ूब फल देगा |
यक़ीनन इसमें फूटेंगी क़ज़ीब अहिस्ता -आहिस्ता ||
ख़तीब आया था सरकारी गया वो आज ये कह कर |
बदल जाएगा अब सबका नसीब अहिस्ता -आहिस्ता ||
रिटायरमेंट का पैसा लिए मैं आज घर पहुँचा |
बहू -बेटा लगे आने क़रीब अहिस्ता -आहिस्ता ||
हुआ जब -जब भी बटवारा मेरे चालाक साझी ने |
मेरी ही सिम्त खिसकाई ज़रीब अहिस्ता -आहिस्ता ||
सियासत किस तरह से उसका इस्तअमाल करती है |
समझता जा रहा अब हर ग़रीब अहिस्ता -आहिस्ता ||
मरीज़ -ए -इश्क है ज़ालिम ये हद्द दर्ज़े का नुक़ताचीं |
तुनक कर जा रहे सारे तबीब अहिस्ता -आहिस्ता ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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