Tuesday, 27 December 2011

मेरे आँसूं


मेरे       आँसूं     बहने      दो |
ग़म    को    हल्का  होने  दो ||

राहें     हैं      मेरी      आसान |
उन    पर   कांटे   उगने    दो ||

अपनी अदब की महफ़िल में |
मुझको  भी  कुछ  कहने  दो ||

फिर  से  सूरज    निकलेगा |
काले   बादल   छँटने      दो ||

कुछ   तो   हस्ती  है   मेरी |
जैसा   भी   हूँ    रहने    दो ||

जल्दी  क्या  है  जाने  की |
बारिश तो रुक   जाने  दो ||

बू  -ए -ग़ुलामी  हैं  इनमें |
इन महलों को  ढहने  दो ||

उसकी नफ़रत का लावा |
दिल से बाहर  आने   दो ||

जांचों परखों सपनों को |
फिर साँचे  में ढलने दो ||

प्यारे  से  मासूमों   को |
तो  मनमानी करने दो ||

सिजद:करने  से पहले |
थोड़ा तो सर झुकने दो ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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