मेरे आँसूं बहने दो |
ग़म को हल्का होने दो ||
राहें हैं मेरी आसान |
उन पर कांटे उगने दो ||
अपनी अदब की महफ़िल में |
मुझको भी कुछ कहने दो ||
फिर से सूरज निकलेगा |
काले बादल छँटने दो ||
कुछ तो हस्ती है मेरी |
जैसा भी हूँ रहने दो ||
जल्दी क्या है जाने की |
बारिश तो रुक जाने दो ||
बू -ए -ग़ुलामी हैं इनमें |
इन महलों को ढहने दो ||
उसकी नफ़रत का लावा |
दिल से बाहर आने दो ||
जांचों परखों सपनों को |
फिर साँचे में ढलने दो ||
प्यारे से मासूमों को |
तो मनमानी करने दो ||
सिजद:करने से पहले |
थोड़ा तो सर झुकने दो ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
No comments:
Post a Comment