खोखला रिश्ता है इसको तोड़ दो |
हाल पर मुझको मेरे अब छोड़ दो ||
ख़ुद करो ग़लती तो ये जायज़ नहीं |
ठींकरा औरों के सर पे फोड़ दो ||
लफ्ज़ जो लिखते हों बस अलगाव के |
एसे क़लमों को उठा कर तोड़ दो ||
चार होते हैं फ़क़त दो और दो |
चाहे उनको जिस तरह से जोड़ दो ||
बाद मुद्दत के उठे दिल में ख़याल |
ख़ूबसूरत सा इन्हें इक मोड़ दो ||
दिल का शायर फिर जगायेगा तुम्हे |
अब भले ही आप कहना छोड़ दो ||
हादिसों ने सख्त की दिल की ज़मीन |
खुश ख़यालों से इसे अब गोड़ दो ||
डा० सुरेन्द्र सैनी