आजा कि तेरी दीद को दिल बेक़रार है |
तेरी वफ़ा पे मुझ को बड़ा एतबार है ||
मुझ को तो इंतज़ार रहेगा तमाम रात |
तू आये न आये तुझे इख़तियार है ||
उसकी खुशी के वास्ते सब कुछ लुटा दिया |
उसकी खुशी में मुझ को खुशी बेशुमार है ||
तन्हाइयों में भी कभी तनहा नहीं रहा |
यादें हैं उनकी साथ दिल -ए -बेक़रार है ||
बोझिल सी पलकें हो गयीं साक़ी पिए बग़ैर |
कैसा ख़ुमार है अरे कैसा ख़ुमार है ||
डा० सुरेन्द्र सैनी