Sunday, 5 February 2012

आजा कि तेरी



आजा कि  तेरी  दीद को  दिल   बेक़रार  है |

तेरी  वफ़ा  पे  मुझ   को   बड़ा   एतबार  है || 

मुझ  को  तो  इंतज़ार  रहेगा   तमाम  रात |

तू   आये   न   आये   तुझे   इख़तियार   है || 

उसकी खुशी के वास्ते सब   कुछ लुटा दिया |

उसकी  खुशी में मुझ को  खुशी  बेशुमार  है || 

तन्हाइयों   में  भी   कभी   तनहा  नहीं  रहा |

यादें हैं  उनकी   साथ   दिल -ए -बेक़रार  है || 

बोझिल सी पलकें हो गयीं साक़ी पिए बग़ैर |

कैसा    ख़ुमार   है   अरे   कैसा    ख़ुमार है ||
 

डा० सुरेन्द्र  सैनी